
My name is Nikhil Pandey. I am 22 years old, born in Delhi. I have done my graduation (Hansraj college) and post-graduation (Ramlal Anand college) in Hindi literature from the University of Delhi. I am UGC-NET qualified and recently I have applied for Ph.D. in Hindi literature except it, I am working in All India Radio (Akashvani) as a compere for 'Yuvvani'. Writing is a passion for me and I enjoy writing on social issues to make people aware of ground realities.
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सच को बनाया जाता है
आजकल सच जैसा कुछ होता नहीं
सच को बनाया जाता है
तड़पती-फड़कती ख़बरों को दिनभर
चैनलों पर चलाया जाता हैं
फिर कई बार सुनी बात
सच्ची-सी लगने लगती है
अफ़वाहें भी लोगों के बीच
ख़बरें बनने लगती हैं
टीआरपी बढ़ने लगती है
अक्ल घटने लगती है
सही ग़लत की पहचान से
नज़रें हटने लगती हैं
प्रश्नों के घेरे में क्यों वही खड़ा नजर आता है?
जो सच की तलाश में प्रश्न उठाता है।
‘सिफारिशों का आलम’
सिफारिशों का आलम ही कुछ ऐसा है
कि हर व्यक्ति अपना ईमान खो बैठा हैजलसा साक्षात्कार का ज़रूर लगेगा
नौकरी किसे मिलनी है ये पहले ही तय हो रखा हैतेरी ईमानदारी का भला वो क्या करेंगे
वहां तो हर व्यक्ति पैसों तले दबा बैठा हैउसे क्या मतलब तेरे कामकाजों से होगा
जो पैसों के लिए अंधा, गूंगा, बहरा बना बैठा हैतेरी उपलब्धियां तू जाकर कहीं और सुनाना
यहां किसी चापलूस की भर्ती का आवेदन निकला है