
Professionally I am a software engineer, doing poetry is my hobby. I have been writing for more than 7 years. I write on Your Quote also. I also like to capture moments in the form of pictures. I am one of the finalists for “Mrs. West India – Empress of West India” 2020. My profession has also helped me a lot to showcase my poetry in the form of blogging (https://deepikajaniyani.wordpress.com/.)
Buy the Books
हाँ मेरे लबों को मुस्कुराना तुम्ही सीखाते हो
जो टूटती थी मेरी गुड़िया कभी, ला देते थे बापू नयी,
पर उस चोट का दर्द भूलने में, साथ तुम निभाते हो,जो थे सपने, पंछी बन उड़ जाने के, उनको रास्ता तुम दिख्लाते हो,
हाँ मेरे भटके हुए कदमों को, संभाल तुम जाते हो,जो गिरे हम कभी, गिरते संभालते, संभाल ही जाएँगे, ये विश्वास तुम दिलाते हो,
माना हर ख्वाब एक हक़ीकत नहीं होता, फिर भी मेरे हर टूटे हुए ख्वाब को सजा तुम जाते हो,उम्मीद जो खो गई थी कही, उसे वापस तुम लाते हो,
साथी साथ ना भी दे कभी, सारथी बन कर साथ, तुम निभाते हो,एक तुम ही तो हो दोस्त, जो मेरी जिंदगी मे मौसम की तरह बदलते नहीं,
हाँ मेरे लबों को मुस्कुराना तुम्ही सीखाते हो.
“इंसान खुद को ख़ुदा समझ बैठा”
इंसान खुद को ख़ुदा समझ बैठा, और बेपरवाह होकर अपनी दुनिया में खो बैठा,
परवाह उसे इस दुनिया की रही नहीं, हर तरह से वो उसे तभा करने लगा.
समय ने अपनी करवट ली, और सृष्टि की, एक छोटी सी जान ने, न जाने, क्या क्या बदल दिया.
उसे लगा वो सब कुछ जानता था, हर एक मर्ज़ की, दवा जानता था,
उसका ज्ञान ही उस से अनजान हो गया, सांसों की दौड़ में, वो पीछे रह गया.
थम सी गयी उसकी ज़िन्दगी, बिखर सा गया उसका सपना.
वक़्त ने फिर उसे एहसास दिलाया, कौन है उसका अपना, क्या होता है सपना,
उस रुके हुए वक्त से, इंसान ने फिर से जीना सिखा, और जाना के, अब तक वो सिर्फ दौड़ रहा था.
और दूसरी तरफ वो वक्त सृष्टि ने खुद के घाव भरने में लगाया, और एक नया दौर लाया.
इंसान को छोड़कर, हर एक जान के, चेहरे पे मुस्कान थी, और फिर इंसान ने जाना, क्या उसकी भूल थी,
जैसे ही उसे एहसास हुआ, वो जान इस जहाँ से चली गयी, और सबके लबों पे, बस एक मुस्कान दे गयी.